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ऑरगॅनिक भारत मिशन

ऑरगॅनिक भारत मिशन

    भारत की मिट्टी के 63% इलाके बेहद गंभीर हैं, क्योंकि वहाँ जैविक कार्बन बहुत ही कम है, सिर्फ 0.5%!

    (कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय , भारत सरकार)

    क्या आप खेत में कम उत्पादन से परेशान हैं ?

    भारत की मिट्टी हर गुजरते वक़्त के साथ ख़राब होती जा रही है, वजह साफ़ है रासायनिक खादों का अत्याधिक इस्तेमाल। जहां एक तरफ महंगाई बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है वही दूसरी तरफ किसान भाई की आमदनी घटती जा रही है। कृषि उत्पादन कम होने की सबसे बड़ी वजह मिट्टी की उर्वरा शक्ति का कम होना है।
    बढ़ती लागत और घटता आय एक किसान और उसके परिवार पर सामाजिक, आर्थिक और मानसिक दबाब बनाते हैं जो किसान की ज़िन्दगी बहुत जटिल बना देते है। एक किसान के रूप में आपकी वर्तमान कृषि संबंधी चुनौतियां निम्नलिखित हो सकती है।

    फसल की वृद्धि में रुकावट |

    पानी की उपलब्धता में गिरावट बढ़ रही है।

    मिट्टी का सख्त होकर बंजर बनना।

    फसल में कीड़े लगने की समस्या बढ़ रही है।

    कृषी घाटेका सोधा बन गया है।

    उत्पादन घट गया है और खर्च बढ़ रहा है।

    इन्हीं कारणों से खेत की मिट्टी की शक्ति बढ़ाने के लिए मानवीय दखल महत्वपूर्ण हो जाता है ताकि उत्पादन के साथ-साथ आय भी बढ़ सके। ‘आर्गेनिक भारत मिशन’ एक ऐसी ही पहल है जिसके तहत हम किसानो को उनके कृषि उत्पादन को बढ़ाने में मदद करते हैं।

    90% कम असरदार

    केंचुए के नहीं होने से मिट्टी पानी को सोखने में 90% कम असरदार हो सकती है।

    40% ज़्यादा ख़राब

    जहरीले खाद के कारण एशिया की 40% से ज़्यादा मिट्टी पहले ही खराब हो चुकी है।

    2000 हेक्टेयर प्रतिदिन

    नमक-प्रेरित क्षरण के कारण विश्व भर में प्रतिदिन 2000 हेक्टेयर कृषि भूमि नष्ट हो रही है।

    24 अरब टन

    सालाना 24 अरब टन उपजाऊ मिट्टी और 27,000 जैव-प्रजातियां नष्ट हो जाती हैं

    क्या आप इन समस्याओं से
    मुक्ति चाहते है? अगर हां, तो ये
    जानकारी आप के लिए है।

    हम 13 वर्षों से कार्बन उत्पादन पर शोध कर रहे हैं। इससे मिट्टी की ताकत में वृद्धि हुई है जिससे लाखों किसानों के फसलों में वृद्धि मिल गई हैं।

    रासायनिक खाद की जरूरत खत्म।

    जहरीली कृषि दवाइयां बंद।

    जमीन का PH बैलेंस ठीक करता हैं।

    जमीन को उपजाऊ बनाते हैं।

    मुलायम उपजाऊ मिटटी को बढ़ावा मिलता है।

    मिट्टी में जीवाणु और केंचुए की संख्या की बढ़त होती है।

    क्या आपभी इसी लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं?

    किसानों की अनगिनत समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, वर्षों के अथक प्रयासों से हमने एक ऐसा उत्पाद बनाया है जो आपकी खेत की मिट्टी से रासायनिक खाद आदि के दुष्परिणामों को ख़त्म कर प्राकृतिक पोषणता प्रदान करता है। मिट्टी को शुद्ध करने की इस अद्भुत पद्धति का नाम “मल्टीप्लायर तकनीक” है जो मिट्टी को उपजाऊ बनाकर आपकी खेती को रासायनिक खाद तथा जहरीले दवाओं से मुक्ति दिलाता है।
    हमारे ‘मल्टीप्लायर तकनीक’ का इस्तेमाल रासायनिक तथा ऑर्गेनिक दोनों तरह की खेती में किया जा सकता है। पूर्ण रूप से सुरक्षित यह तकनीक आपकी खेती की लागत को कम कर उत्पादन बढ़ाने में कारगर है।

    इस तकनीक अद्भुत का इस्तेमाल भारत के 27 राज्यों के लाखों किसान कर रहे हैं। हमें गर्व है की हमने लाखों किसानों की मदद कर उनके खेत की मिट्टी को आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान कर उनको उत्पादन बढ़ाने में योगदान दिया है और उन्हें प्राकृतिक खेती की तरफ ले गए हैं।

    क्या है ये मल्टीप्लायर तकनीक ?

    महाराष्ट्र के धुलिया में रहने वाले चौरसिया जी को हमेशा से ये बात खटकती थी की खेती क्यों अनेक संकटों से घिरी है। बाकी व्यापार की तरह कृषि को क्यों नहीं फायदे का सौदा कहा जाता है?
    हमारे भारत की कृषि पिछले 50 सालो में ही ऐसी स्थिति में क्यों पहुंची? लाखो हेक्टर जमीन का बंजर होना, किसानों की आत्महत्या, ऋणग्रस्तता आदि कुछ प्रमुख चुनौतियां हैं जो खेती में पिछले कुछ समय से बहुत तेजी से बढ़ी। आखिर क्यों देश के लाखों किसान हतोत्साहित होकर अपने परिवार और गाँव छोड़कर शहरो में मजदूरों की तरह ज़िन्दगी बसर करने को मजबूर है?

    चौरसिया जी की इसी जिज्ञासा ने उन्हें एक अद्भुत खोज करने के लिए प्रेरित किया। सन 2001 से 2014 तक 13 वर्षों के अविश्रांत परिश्रम के बाद उन्होंने हाशिये पर पहुंच चुकी कृषि के मूल कारण का पता लगा लिया। इस खोज में ये बात निकलकर सामने आई कि यदि प्रकृति को पूरी ताकत से काम करने दिया जाए तो नतीजे बहुत बेहतर आएंगे और खेती की चुनौतियां भी कम हो जाएंगी

    मात्र ७ सालों में संपूर्ण आत्मनिर्भरता
    अर्थात, खाद - दवाइयाँ से पूर्णत: मुक्ति

    उत्पादन में ३० से ५० %
    की बढ़त

    उत्पादन खर्च में ८० %
    तक कटौती

    कीड रोग की समस्या घट
    जाती है

    उत्पादन में
    ३ गुना तक बढ़

    लेकिन इसके लिए खेती को प्राकृतिक पोषण उपलब्ध कराना अधिक जरूरी है। जैविक यंत्रणा इस कार्य के लिए सबसे सर्वोत्तम माना जाता है। यह न केवल खेती में असंतुलन को हटाता है बल्कि पहले ही साल 50% उत्पादन में बढ़ोतरी भी देता है। लेकिन ऐसे नतीजे आपको तब ही देखने को मिलेंगे जब आप अपने खेत से रासायनिक खाद को हटा देंगे और प्राकृतिक तथा ऑर्गेनिक खेती करेंगे।

    रासायनिक खाद की जरूरत खत्म।

    जहरीली कृषि दवाइयां बंद।

    जमीन का PH बैलेंस ठीक करता हैं।

    जमीन को उपजाऊ बनाते हैं।

    मुलायम उपजाऊ मिटटी को बढ़ावा मिलता है।

    मिट्टी में जीवाणु और केंचुए की संख्या की बढ़त होती है।

    मल्टीप्लायर एक फायदे अनेक

    कष्ट कम से कम होता है।

    हमारी मल्टीप्लायर तकनीक का इस्तेमाल बहुत सरल है। अन्य ऑर्गेनिक पद्धति की तुलना में इसमें कष्ट कम से कम होता है। नयी पीढ़ी के लोगो के लिए यह तकनीक बहुत लाभदायक है।

    समय बचाये

    कृषि उत्पादन में समय बहुत मायने रखता है। अन्य ऑरगॅनिक पद्धती में शुरुआती सालो में उत्पादन घटता है। वहीं हमारी मल्टीप्लायर तकनीक के इस्तेमाल से आपको पहले ही सीजन से लाभ देखने को मिलता है।

    खर्च कम करे

    80% तक खर्च कम करके मल्टीप्लायर तकनीक आपके पैसे तो बचाता ही है, साथ ही 7 साल बाद यह लागत को शून्य कर देता है। जबकि ऑर्गेनिक पद्धती में गोबर से लेकर अन्य कई बाहरी चीजें भी आवश्यक होती है, जिससे खर्च बढ़ जाता है।

    27 राज्यों में उपलब्ध

    हमें गर्व है की पिछले 7 सालो में ही हमने भारत के 27 राज्यों में लगभग 500 से अधिक जिलों के लाखों किसान को मल्टीप्लायर तकनीक से लाभान्वित किया है। और यह संख्या लगातार तेजी से बढ़ रही है।

    क्या आप खेती से होनेवाला फायदा 3 गुना तक बढ़ाना चाहते है?

    एक निर्णय आप की जिंदगी
    बदल सकता है।

    आज तक आप ने लाखो रुपयें खर्च किए है रसायनिक खाद और दवाइयों पर! इन के अतिरिक्त इस्तेमाल से हमारी जमीन की उपजाऊ क्षमता कम होते हुए, किड रोग बढ़ गए और खेती नुकसान में चली गई।

    अब खेती का लागत मूल्य 80% घटाकर उत्पादन तीन गुना बढ़ाकर, बाहरी खाद–दवां के चक्रव्यूह से मुक्त होने का मौका आया है।

    ज्यादा सोचते रह जाएंगे तो निर्णय नही कर पाएंगे। सिर्फ छोटी जगह पर डेमो लेने से इस की ताकत समझ आएगी।

    रक्कम ₹270 इतनी मामूली है की जेब से गिर जाएगी तो हम हमारी नींद भी खराब नही कर लेंगे।

    डेमो का निर्णय लीजिए और अपने गांव के सबसे ज्यादा फायदे की खेती करने वाले किसान बनिए।

    लोग हमारे बारे मे क्या केहते हैं ?

    मल्टीप्लायर के इस्तेमाल से
    नज़र आने वाले बदलाव

    रुकी हुई फसलों की ग्रोथ को तेज करता है।

    फसलों के पत्तों को हरा-भरा और ताजा बनाएं, जिससे उनका रंग डार्क ग्रीन हो जाता है।

    चहुंमुखी विकास को प्रोत्साहित करता है, और शाखाओं पर उत्पादन प्राप्त होता है तथा इनकी संख्या बढ़ती है।

    फसलों को शक्तिशाली बनाये, जिससे कीटक तथा विभिन्न रोगों के अटैक से सुरक्षा मिलती है।

    फसलों का प्रकृति के साथ समन्वय स्थापित होता है जिससे प्राकृतिक विषमतायें खेती को कम प्रभावित करती है।

    उत्पादन घनत्व में वृद्धि देखने को मिलती है। अगर कैरेट में 20 किलो माल आता था तो वो बढ़कर 25-28 किलो आएगा।

    ऑर्गेनिक खेती की जरूरत

    रासायनिक खाद, कीटनाशक दवाइयों और अन्य जहरीले कृषि उत्पाद से मानवीय स्वास्थ्य पर गहरे खतरे मंडरा रहे हैं जिस कारण प्राकृतिक खेती पर लोगों का ध्यान आकर्षित हो रहा है। ऑर्गेनिक खेती आज के समय में बहुत प्रचलन में है क्यूंकि इससे न केवल लोगों का स्वास्थ्य बेहतर होता है बल्कि किसानों की भी आय में सुधार देखने को मिलता है।

    ऑर्गेनिक खेती से किसान भाइयों की कृषि लागत कम होती है, जिससे उन्हें आय बढ़ाने में मदद मिलती है।

    ऑर्गेनिक खेती से बिना कीटनाशक, आनुवांशिक संशोधित जीव, एंटीबायोटिक और वृद्धि हार्मोन से खेती होती है।

    ऑर्गेनिक खेती अधिक टिकाऊ और व्यापक माना जाता है जिससे लोगों का स्वास्थ्य बेहतर होता है।

    ऑर्गेनिक खेती से कृषि को प्राकृतिक पोषण प्राप्त होता है और जहरीले कीटनाशकों के उपयोग से मुक्ति मिलती है।

    ऑरगॅनिक भारत मिशन

    सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत में किसानो की बहुत दुर्दशा है। इसके पीछे वे लोग है जिन्होंने अपने निजी स्वार्थ के लिए किसानों को ऐसे उत्पादों में फंसा दिया जिसके इस्तेमाल के बिना वे कुछ भी नहीं ऊगा सकते। कुछ साजिशकर्ताओं ने षड्यंत्र के माध्यम से भारत की मिट्टी और खेती को व्यवस्थित तरीके से बर्बाद किया है। उन्होंने अपने देश की जमीन और बीज को खराब करने की योजना बनाई।

    डब्ल्यूएचओ के अनुसार मनुष्य एक वर्ष में 700 ग्राम उर्वरक और 900 ग्राम कीटनाशकों का सेवन 1 किलो में करता है। कैंसर जैसी खतरनाक और घातक बीमारी भी जहरीली खेती का ही परिणाम है।

    ऑरगॅनिक खेती के सवाल

    खेती में मल्टीप्लायर का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है ताकि लागत कम करके उत्पादन बढ़ाया जा सके। हमारी मल्टीप्लायर तकनीक आपकी खेती को लाभदायक बनाती है और आपको आत्मनिर्भर किसान बनने में सहयोग करती है। मल्टीप्लायर की बहुत सी खूबियां है, इसके इस्तेमाल से आपको पहले ही सीजन से उत्पादन बढ़ के मिलने लगता है। इसके साथ ही मल्टीप्लायर तकनीक आपके खेत को कीट रोग, और हानिकारक खाद-दवाइयों आदि से मुक्ति दिलाकर ऑर्गेनिक खेती की तरफ लेकर जाती है।

    प्रकृति ने वनस्पति के भोजन की सम्पूर्ण व्यवस्था की है। ये तथ्य वैज्ञानिकों के शोध में भी निकलकर सामने आया है। वनस्पति को 96.2 प्रतिशत भोजन सूर्यप्रकाश, हवा और पानी से मिलता है। जबकि बचे हुए 3.8 प्रतिशत भोजन की पूर्ति मिट्टी से होती है। मिट्टी सभी तरह के खनिजों का भंडार है जैसे अन्न द्रव्य में नत्र, स्फुरद, पोटाश, दुय्यम अन्नद्रव्य में कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर, तथा सूक्ष्म अन्न द्रव्य में बोरान, क्लोरीन, कॉपर, आयरन, मैंगनीज, मॉलीब्लेडिनम, जिंक आदि। हमारे खेत की मिट्टी को फलने-फूलने के लिए इन तत्वों की सख्त जरूरत होती है। इसके अलावा 3 और घटक है जैसे कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन जो मिट्टी को पानी तथा हवा से उपलब्ध होते हैं।

    वनस्पति अपना भोजन खनिज, जल और सूर्य की उपस्थिति में बनाते हैं। वे मिट्टी से खनिज पदार्थों को अवशोषित करते हैं तथा जल और वायु से कार्बन डाइऑक्साइड प्राप्त करते है। इस प्रक्रिया में पौधे सूर्य के प्रकाश की भी मदद लेते हैं। क्लोरोफिल वनस्पति में हरा पिग्मेंट होता है जो सूर्य की किरणों से प्रकाश को ग्रहण कर पौधे को पोषित करने में मदद करता है। विज्ञान की भाषा में इस प्रक्रिया को प्रकाश-संश्लेषण कहा जाता है।

    यह पूरी व्यवस्था चक्रीय है जो मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखता है क्योंकि मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवाणु खनिजों को खाते हैं और खनिज मिट्टी में ही पाए जाते हैं। इस तरह से वनस्पति को प्राकृतिक रूप से अनवरत भोजन मिलता रहता है लेकिन जहरीले रसायनों के इस्तेमाल से यह प्राकृतिक व्यवस्था अच्छे से काम नहीं कर पाती, नतीजा मिट्टी की गुणवत्ता का ख़राब होना जिस कारण किसानो के उत्पादन एवं आय में भी गिरावट।

    मिट्टी करोड़ों-करोड़ जीवाणुओं का घर होता है लेकिन गर्मी बढ़ानेवाले रासायनिक खाद डालने से बड़ी संख्या में जीवाणु मर गए हैं जिस कारण वनस्पति को समुचित भोजन नहीं मिलता। ऐसी स्थिति में बाहर से डाले गए रासायनिक खाद भी काम नहीं करते क्यूंकि जीवाणुओं की संख्या कम होने से रासायनिक खाद भी फसल को उपलब्ध नहीं हो पाते। इन परिस्थितियों में किसान के आगे बहुत बड़ी चुनौती खड़ी हो जाती है जो उसको सामाजिक और आर्थिक मुसीबत में धकेल देती है।

    यह पूरी व्यवस्था चक्रीय है जो मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखता है क्योंकि मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवाणु खनिजों को खाते हैं और खनिज मिट्टी में ही पाए जाते हैं। इस तरह से वनस्पति को प्राकृतिक रूप से अनवरत भोजन मिलता रहता है लेकिन जहरीले रसायनों के इस्तेमाल से यह प्राकृतिक व्यवस्था अच्छे से काम नहीं कर पाती, नतीजा मिट्टी की गुणवत्ता का ख़राब होना जिस कारण किसानो के उत्पादन एवं आय में भी गिरावट।

    मिट्टी करोड़ों-करोड़ जीवाणुओं का घर होता है लेकिन गर्मी बढ़ानेवाले रासायनिक खाद डालने से बड़ी संख्या में जीवाणु मर गए हैं जिस कारण वनस्पति को समुचित भोजन नहीं मिलता। ऐसी स्थिति में बाहर से डाले गए रासायनिक खाद भी काम नहीं करते क्यूंकि जीवाणुओं की संख्या कम होने से रासायनिक खाद भी फसल को उपलब्ध नहीं हो पाते। इन परिस्थितियों में किसान के आगे बहुत बड़ी चुनौती खड़ी हो जाती है जो उसको सामाजिक और आर्थिक मुसीबत में धकेल देती है।

    यह पूरी व्यवस्था चक्रीय है जो मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखता है क्योंकि मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवाणु खनिजों को खाते हैं और खनिज मिट्टी में ही पाए जाते हैं। इस तरह से वनस्पति को प्राकृतिक रूप से अनवरत भोजन मिलता रहता है लेकिन जहरीले रसायनों के इस्तेमाल से यह प्राकृतिक व्यवस्था अच्छे से काम नहीं कर पाती, नतीजा मिट्टी की गुणवत्ता का ख़राब होना जिस कारण किसानो के उत्पादन एवं आय में भी गिरावट।

    मिट्टी को उपजाऊ बनाने में केंचुओं का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। केंचुआ मिट्टी को उलटते-पलटते रहते हैं जिससे उसमें ऑक्सीजन आदि का संचार लगातार होता रहता है लेकिन रासायनिक खाद के इस्तेमाल से केंचुआ मिट्टी के नीचे चले जाते हैं जिस वजह से उत्पादन पर असर पड़ता है क्यूंकि मिटटी को पूरा पोषण नहीं मिलता।

    मल्टीप्लायर तकनीक मिट्टी में जाकर एक अनुकूल वातावरण निर्मित करती है जिसमे केंचुओं को फलने-फूलने का पूरा मौका मिलता है तथा वो वापस मिट्टी के ऊपर आने लगते हैं। इसके इस्तेमाल से एक एकड़ क्षेत्र में साल भर में खेती होनेवाली मिट्टी में 120 टन तक केंचुआ खाद हर साल बनता है, किसान भाइयों अगर 120 टन केंचुआ खाद हर साल आपके एक एकड़ क्षेत्र में बनने लगे तब आपको बाहर से एक रुपये कीमत का भी खाद डालने की आवश्यकता नहीं है। मल्टीप्लायर सबसे पहले मिट्टी की खराबी दूर करने पर काम करता है।

    मल्टीप्लायर बहुत तेज नतीजे देता है इसके इसके इस्तेमाल के पहले से ही सीजन से आपको बढ़ा हुआ उत्पादन प्राप्त होने लगता है। और मल्टीप्लायर का इस्तेमाल सिर्फ 7 वर्षों के लिए ही करना है उसके बाद आपकी खेती आत्मनिर्भर हो जायेगी। आपकी मिट्टी सोने जैसी हो जाएगी, और आपको उत्पादन बढ़ के ही मिलेगा। 13 वर्षों के अथक प्रयासों से तैयार मल्टीप्लायर तकनीक मिट्टी में निर्मित खराबी को दूर करके आपके उत्पादन और आय दोनों को बढ़ाने में मदद करता है।

    मल्टीप्लायर तकनीक का इस्तेमाल करना बहुत सरल है। हर सप्ताह आपको 1 ग्राम प्रति लीटर का उपयोग करना है। इसका आप जितनी बार छिड़काव करते हैं उतना बेहतर परिणाम देखने को मिलेगा।

    ऐसा बिल्कुल नहीं है, हमारी तकनीक पूरी तरह से शुद्ध और व्यवस्थित है। इसके पहले ही इस्तेमाल से आपको नतीजे मिलने लगते हैं। हमारे साथ जुड़ते ही आपको पहले ही साल 30% से 50% तक उत्पादन बढकर मिलता है, और वो भी कम लागत के साथ।

    किसान भाई को सुखी और संपन्न बनाने के लिए प्राकृतिक खेती ही एकमात्र उपाय है। लेकिन मल्टीप्लायर के जगह दूसरी तरह की तकनीक अपनाने पर नतीजे बहुत देर से मिलते हैं। यहां तक की पहली फसल में ही आपका उत्पादन 70 प्रतिशत के लगभग कम हो जाता है और फिर धीरे-धीरे उत्पादन बढ़ता है। जबकि मल्टीप्लायर बहुत तेज नतीजे देता है और इसका इस्तेमाल भी बस सात वर्षो के लिए ही करना है। मतलब मल्टीप्लायर के बगैर अगर खेती को रसायन मुक्त बनाने का प्रयत्न किया जाये तब उत्पादन में लम्बे समय तक के लिए भारी कमी आ जाती है। इस तरह से हम आपकी मिट्टी में सुधार के साथ मल्टीप्लायर से जीरो बजट को प्रोत्साहित करते हैं।

    मल्टीप्लायर को होम डिलीवरी या नजदीकी ट्रांसपोर्ट ऑफिस से बहुत आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। आपको “अभी खरीदे” बटन पर क्लिक करके आर्डर बुक कर देना है। साथ ही आर्डर करते समय अपना पता अच्छे से लिखना है। फिर हम आपके बताए पते पर मल्टीप्लायर कूरियर से भेज देंगे। इसके साथ ही हम आपको एक ट्रैकिंग लिंक भी भेजेंगे जिससे आप अपने ऑर्डर का स्टेटस चेक कर सकते हैं। साथ ही आप हमसे इस नंबर (+91 8956871244) पर संपर्क भी कर सकते हैं।

    ऑरगॅनिक भारत मिशन से जुड़कर न केवल आप एक समृद्ध और सशक्त किसान बन सकते हैं बल्कि राष्ट्र निर्माण में भी योगदान दे सकते हैं। इस मिशन से जुड़कर आपको निम्न लाभ मिलेंगे।

    ● बीज प्रक्रिया से लेकर हार्वेस्टिंग तक विनामुल्य मार्गदर्शन
    ● हमारे VIP ग्रुप का लाइफटाइम एक्सेस
    ● समय-समय पर ऑर्गेनिक खेती के संदर्भ में प्रशिक्षण
    ● कभी भी कंपनी विजिट करने का मौका
    ● कस्टमर केयर सपोर्ट

    हमारी कंपनी से जुड़कर आप बिजनेस कर सकते हैं और एक कामयाब किसान के साथ -साथ कामयाब बिज़नेसमैन भी बन सकते हैं। एक साधारण किसान बिजनेस करके हमारी कंपनी में एसोसिएट डायरेक्टर तक बन सकता है।

    ● बीज प्रक्रिया से लेकर हार्वेस्टिंग तक विनामुल्य मार्गदर्शन
    ● हमारे VIP ग्रुप का लाइफटाइम एक्सेस
    ● समय-समय पर ऑर्गेनिक खेती के संदर्भ में प्रशिक्षण
    ● कभी भी कंपनी विजिट करने का मौका
    ● कस्टमर केयर सपोर्ट

    भारत के 27 राज्यों तक हमने मल्टीप्लायर पहुंचाया है और वहां के किसानो को उत्पादन और आमदनी को बढ़ाने में योगदान दिया है। वर्षो के प्रयासों से तैयार की गयी मल्टीप्लायर से आज लाखो किसान भाई लाभान्वित हुए हैं। आज मल्टीप्लायर के फायदे युवाओं को भी कृषि करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं क्योंकि इसमें खर्चा कम और उत्पादन ज्यादा होता है। हम आपको खेती में लाभ कमाकर एक सुखी और संपन्न जीवन पाने में मदद करते हैं। साथ ही हम कृषि और बिजनेस दोनों के लिए ट्रेनिंग और मीटिंग का आयोजन करते हैं।

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